Sunday, August 17, 2014

अब तो तू ये बीडा उठा ले....

व्योपारी चूसे, नदिया जंगल,
धरती नीर बहाए.........

भूखी गोपी, भूखे ग्वाले,
किसना भूखा जाए......

ऐसी विपदा अपने लाये,
दिल की कौन बुझाये...

सुन ले रे देश के बेटे,
तेरी माता असुअन रोये....

काहे बैठा बिसरा के बिरसा,
अब देर बड़ी ही होए.......

खुद भी उठ,
ये बीड़ा उठा ले,
मिटटी तुझे बुलाये.......

व्योपारी चूसे नदिया जंगल,
धरती नीर बहाए...

माता के आँचल दाग लगा है,
कंस खड़ा मुस्काए.....

अपनी अपनी सब साधे हैं,
कौन दूजे को हाथ लगाये...

अब तो तू ये बीड़ा उठा ले,
मिटटी तुझे बुलाये....

तेरा किसना भूखा जाये.....!

बीरसे के सब फूल चुराए,
तेरी राह सजाये कांटे.........
गीता कुरान के नाम पे नेता,
देश तेरा ये बांटे........

देख विधाता साथ खड़ा है,
काहे को घबराए.....
अपनी किस्मत आप बदल ले,
जैसा भी तू चाहे......

अब तो तू ये बीड़ा उठा ले,
मिटटी तुझे बुलाये.....

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