प्यार इतना है तुझसे,
और जुदाई भी ऐसी,
कि रोज़ मरता हूँ,
रोज़ जीता हूँ, सौ दफा...
मेरे अश्कों को ही,
नम करनी है,
दिल की जमी.....
इस सावन,
कोई बरसात न होगी.........
जब तुझे याद न करू,
वो रात कभी रात न होगी........
दिल बैठा जा रहा है,
ये सोच कर.....
कि पल पल बीता,
जिनके लिए सदियों जैसा,
उनसे दो पल की भी,
मुलाकात न होगी.........
मैंने मार दिया है,
अपने ही हाथों,
तम्मंनाओ को अपनी.......
पर तेरे माथे शिकन आये,
मुझसे अब वो बात न होगी.....
गर तेरी रज़ा है,
तो मेरे सर माथे.....
दुनिया तेरे कदमो पे,
कर देता हूँ, न्योछावर,
इस से ज्यादा,
मेरी औकात न होगी......
अब सबसे होगी,
पर तेरे दीवाने से,
तेरी मुलाक़ात न होगी.......
तेरे माथे शिकन आये,
मुझसे अब वो बात न होगी...
एक बार खुद तू,
बयां कर दे.........
तो पलट के न आऊँ कभी,
आ गया गर कभी,
तो इंसान की मेरी,
ज़ात न होगी............
कुछ भी हो पर,
अब वो बात न होगी........!
अब वो बात न होगी........!
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