Friday, May 16, 2008

कारण ये प्रश्न.......

क्यों रचा विधि ने मुझे
क्यों इतनी सम्वेदना मुझमे ही.......
क्यों भोर के पहले पहर
भीनी हलकी सी सुगंध भी...
जगा देती है मुझे............

क्योँ भावनाओं का अतिरेक
मादकता की अतिशयोक्ति है।
प्रेम का चरम...
क्यों मुझ में....

अलौकिक से आभाष
या ये प्रकृति के परिहास,
ये अकथ्य का बोध....
व्यक्तित्व का मूल्यांकन...
मेरे लिए बस खेल।
क्यों ये प्रतिभा...
मूल्यांकन की...
पर या स्वः...
कठिन क्यों नही...

पर-विचार, सिद्धांत, या स्वाव्धारना...
क्यों इनमे परिमार्जन की रिक्ति मिलती सदैव...

क्यों ये समंजन की क्षमता
ये रचनात्मकता।
क्यों ये भाव, ये उद्विग्नता...
त्रुटी परिशोधन की अति।
और विश्लेषण भाव अन्तर्निहित

क्यों ये पीड़ा वैशेश्य की...
क्यों कारण ये प्रश्न सभी ?

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