Monday, June 23, 2025

हिसाब

 मेरे अशआरों में भी

कोई नक्श आयेगा,

उनके भी मायने होंगे


इंसान हश्र में खड़ा होगा

सामने आईने होंगे


इल्म जमी पे खड़ा होगा,

बुत सूली पे टंगे होंगे


उन सबका वजन होगा अंतस

जो वादे तुमने हमसे कहे होंगे


सब पल ठहरे होंगे

वक्त के सब कांटे

वहीं रुके होंगे


तुम होगे, हम होंगे,

और सब होंगे,..!!


वहां, वसीयत पढ़ी जाएगी,

इमदाद होगी, फैसले होंगे


ये सब होगा,

जब बस हम होंगे

अकेले होंगे..!!


हो चुका होगा हमारा होना

सब खयाल भी,

हो चुके होंगे..!


क्या ही मंजर होगा

बस तुम होगे

और हम होंगे..?


इतनी तफसीली दुनिया से

क्या ही वास्ता होगा

ज़र्रा से तुम होगे

सिफर से हम होंगे


एक लम्हा होगा

तुम होगे और 

हम होंगे..!!

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