Thursday, October 31, 2024

लड़के चुप हो गए

मनचाहा खिलौना,

न मिलने पर,

पसंदीदा पटाखा,

किसी और के हाथ जलने पर,

वो चुप हो गए,


पिता की डांट पर,

माँ की फटकार पर,

बहन के तिरस्कार पर,

वो चुप हो गए,

उनकी आँखे बोलती जब,

लड़के चुप हो गए,


कक्षा में पाठ,

समझ ना आने पर,

पहले प्यार के,

अधूरे फ़साने पर,

लड़के चुप हो गए,


वो चुप हो गए,

जब शिक्षक ,

उनके समझे नहीं,

उनके छोटे छोटे मसले,

बड़ों से सम्हले नहीं,

मगर उनकी आँखे बोलती रही,


दिवाली पे बुआ के हाथ से,

दस रुपये का इंतज़ार रहा,

गर्मियों में नानी के घर का,

साल भर इंतजार रहा,

पा नहीं सके तो,

लड़के चुप हो गए,


पढाई की गला काट होड़ में,

नौकरी की दौड़ में,

जब दम घुट गया,

लड़के चुप हो गए,


सिगरेट के कश में,

कभी रंज जला दिया,

शराब के घूटों में,

कुछ गम घुला दिया,

फिर कानों में उनके,

साँसे कुछ फुसफुसाती रही,

पर लड़के चुप हो गए, 


सब तमन्नाओं, भावनाओं को,

कविता कहानियों में जगह मिल गयी,

लड़कों का किशोरपना

कुंवारा रह गया, 

लड़के चुप हो गए..........!!


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