Monday, February 17, 2020

खुशबू

सुबह उठ कर गीले तकिये को देखा,
तो देर तक सोचता रहा....... !

ये शबनम फलक से आई,
के मेरी आंखों से......?


क्या गुलों ने कर ली खुदकुशी.......?
जो बिखरी पड़ी है फिजा भर में खुशबू..!

फिर कभी सोचता हूँ,
शायद आई तेरी साँसों से.....!

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