From Inside.......
तेरी दूकान मुबारक, तेरे सौदे मुबारक तुझे,
माना की हमदम है तू, झूठा है, मुझे ऐतबार नही,
मजहब का धंधा है तेरा, पर मैं खरीददार नही....।
Post a Comment
No comments:
Post a Comment