Thursday, May 1, 2025

मैं वक्त हूं..!

मुझे चाहना, और पा लेना,
दो अलग अलग बातें हैं।
इक मुकाम हूं मैं,
सब के हिस्से,
आसानी से नहीं आता।

इल्म हूं, सब्र की इंतहा हूं,
सबक हूं, इंतजार हूं,
आता हूं,
पर आसानी से नहीं आता।

ठहरो, परहेज करो,
वक्त दो, तरजीह दो,
मुश्किल से आता हूं,
आसानी से नहीं आता।

मुझे पाना है तो,
उम्रदराज होना पड़ेगा
तजुर्बा हूं
जो जवानी से नहीं आता
आसानी से नहीं आता।

हक़ हूं, जायदाद नहीं
लड़ने से मिलता हूं,
बदगुमानी से नहीं आता
मुश्किल से आता हूं,
आसानी से नहीं आता

तुम्हे मेरे इंतजार की,
कद्र करनी होगी,
मैं, कायदा हूं,
मेरी अपनी चाल है,
मैं नाफरमानी पर नहीं आता।

मैं वक्त हूं,
आसानी से नहीं आता..!